आस्था, विश्वास, सौहार्द एवं संस्कृतियों के मिलन का पर्व है “कुम्भ”
“कुम्भ” संस्कृत भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है “कलश ” |
“मेला” का शाब्दिक अर्थ है “उत्सव” |
खगोल गणनाओं के अनुसार यह पर्व मकर संक्रांति के दिन से प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और बृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं एवं इस दिन को विशेष रूप से मांगलिक माना जाता है| हर 12वें वर्ष कुम्भ पर्व निम्न तीर्थ स्थानों पर आयोजित किया जाता है :-
करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा तथा मेले का सुगम संचालन एक चुनौती भरा कार्य है जो कुम्भ मेला पुलिस तथा मेला प्रशासन का उत्तरदायित्व है|
ब्रिटिश शासन काल में, कुम्भ आयोजन में किसी प्रकार की शासकीय सहायता नहीं मिलती थी तथा अखाड़े व प्रयागवाल सभा अपने स्तर पर आयोजन कराते थें| वर्ष 1953-54 में कुम्भ में भगदड़ के कारण पूरी व्यवस्था के लिए मेला प्रशासन व मेला पुलिस का बंदोबस्त किया गया | जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 1965, 1977, 1989, 2001 तथा 2013 में मेला प्रशासन व मेला पुलिस के सफल पर्यवेक्षण में मेले का आयोजन सुरक्षित रूप से सम्पन्न हो सका |
दशकों से किए जा रहे इस महा आयोजन के सफल प्रबंधन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट किया है, जो पूरे देश के लिए एवं विशेषकर उत्तर प्रदेश पुलिस के लिये गर्व एवं प्रशंसा का विषय है।
वर्ष 2013 में लगभग 10 करोड़ श्रद्धालु कुम्भ में पहुंचे तथा लगभग 3 करोड़ श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या के अवसर पर प्रयागराज के विभिन्न घाटों पर पवित्र स्नान किया |
कुम्भ 2019 में लगभग 12 करोड़ श्रद्धालुओं का आगमन प्रयागराज में संभावित है | उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की दूरदर्शिता एवं कुशल निर्देशन में उत्तर प्रदेश सरकार ने कुम्भ को दिव्य एवं भव्य बनाने के लिये कठिन परिश्रम किया है तथा उत्तर प्रदेश पुलिस भी इसे सुरक्षित कुम्भ बनाने हेतु पूरी तरह तैयार है |
सुरक्षित कुम्भ हेतु समग्र सुरक्षा का कवच बनाया गया है जिसके लिये एक अचूक रणनीति बनायी गयी है |
अत्याधुनिक संसाधनों एवं तकनीक का उपयोग, अति प्रशिक्षित पुलिस बल, गहन प्रशिक्षण, गोपनीय सूचना एकत्रीकरण, आतंकी गतिविधियों के त्वरित उत्तर हेतु तैयारी, आपदा प्रबंधन, डिजिटल खोया पाया केंद्र, जियो टैग्ड थाने एवं पार्किंग स्थल, आई॰सी॰सी॰सी॰, सोशल मीडिया एवं जन मानस तक पहुंचने के लिये एप्स का प्रयोग आदि सुरक्षित कुम्भ के अवयव हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुरक्षित कुम्भ हेतु अपनी सभी इकाइयों एवं अन्य विभागों से भी समन्वय बनाया है।
चाहे वह ए.टी.एस., एस.टी.एफ.,पी.ए.सी., यूपी 100, एल.आई.यू., वायरलेस, घुड़सवार पुलिस, जल पुलिस, अग्नि शमन सेवाएँ, जी.आर.पी., डॉग स्क्वाड, यातायात पुलिस, बी.डी.डी.एस., ए.एस. चेक टीम, बारूदी सुरंग रोधी दल, होमगार्ड, पी.आर.डी., अर्ध सैनिक बल, एन .डी.आर.एफ. , एन.एस.जी. कमांडो, सभी करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं |